दिल्ली उच्च न्यायालय ( Delhi High Court ) में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत
कोष ( पीएम केयर्स फंड, PM CARES FUND ) में आए धन और उसका किन मदों में कितना इस्तेमाल
हुआ, इसकी जानकारी सूचना के अधिकार ( आरटीआई एक्ट 2005, RTI Act 2005 ) के तहत उपलब्ध कराने के संबंध
में 04 जून 2020 को एक याचिका दायर की गई है।
याचिकाकर्ता वकील सुरेंद्र सिंह हुड्डा ने इस याचिका पर वेब लिंक के जरिए
तत्काल सुनवाई करने की अपील की और इसे 10 जून 2020 के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया
है।
याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मार्च 2020 को इस कोष
का गठन किया था और सभी भारतीय नागरिकों से अपील की थी कि वे कोविड-19 ( COVID-19 ) के
खिलाफ लड़ाई में देश की मदद करने के लिए आर्थिक सहायता दें।
याचिका में कहा गया है कि दो महीने बाद इस कोष में लगभग 10000 करोड़ रुपये
जमा हुए हैं और प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रतिष्ठा के आधार पर यह राशि जमा
हुई।
पहले भी आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत यह जानकारी मागी जा चुकी है
इससे पहले भी आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत यह जानकारी मांगी गई थी | यह आरटीआई 01 अप्रैल 2020 को हर्ष कांदुकुरी द्वारा दायर की गई थी। जिसमें ‘पीएम केयर्स फंड’ ( PM CARES FUND ) के गठन और ऑपरेशन को लेकर जानकारी मांगी गई थी।
आरटीआई के तहत पीएम केयर्स फंड की ट्रस्ट डीड, सभी सरकारी आदेश की कॉपी, नोटिफिकेशन और सर्कुलर संबंधी भी जानकारी मांगी गई थी।
हर्ष की इस आरटीआई पर 29 मई 2020 को पीएमओ के पब्लिक इंफोर्मेशन अधिकारी ने यह कहकर खारिज कर दिया है कि “पीएम केयर्स फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं है। हालांकि पीएम केयर्स फंड के बारे में उसकी वेबसाइट ( pmcares.gov.in ) से जानकारी ली जा सकती है।”
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, पीएम केयर्स फंड की वेबसाइट पर ट्रस्ट डीड, सरकारी आदेश, नोटिफिकेशन आदि की कोई जानकारी नहीं दी गई है। वहीं आरटीआई दाखिल करने वाले हर्ष का कहना है कि “पीएम केयर्स फंड का पब्लिक अथॉरिटी नहीं होने से पता चलता है कि इसे सरकार द्वारा कंट्रोल नहीं किया जा रहा है। ऐसे में इसे कौन कंट्रोल कर रहा है? नाम, ट्रस्ट का गठन आदि से लगता है कि यह पब्लिक अथॉरिटी है। ऐसे में यहां पारदर्शिता की साफ कमी दिखाई दे रही है।”
हर्ष ने कहा कि “हमें इस बात के लिए भी चिंतित होना चाहिए कि फंड का इस्तेमाल कैसे हो रहा है। कौन इसे लेकर फैसले ले रहा है, इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि यह सुनिश्चित कैसे होगा कि फंड का गलत इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। एक ट्रस्ट जिसे 4 कैबिनेट मंत्रियों और उनके ऑफिस के अधिकारियों द्वारा चलाया जा रहा है, उसे पब्लिक अथॉरिटी का स्टेटस नहीं मिलना पारदर्शिता के लिए बड़ा झटका है।”
RTI के तहत 'पब्लिक अथॉरिटी 'क्या है?
आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एच) के अनुसार, "पब्लिक अथॉरिटी" का अर्थ है किसी भी प्राधिकरण या निकाय या स्व-सरकार की संस्था स्थापित या गठित, -
(ए)
संविधान द्वारा या उसके तहत;
(ख) संसद द्वारा बनाए गए किसी अन्य कानून
द्वारा;
(ग) राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी अन्य कानून द्वारा;
(डी)
उपयुक्त सरकार द्वारा जारी अधिसूचना या आदेश द्वारा।
'सार्वजनिक प्राधिकरण' की परिभाषा में सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा
स्वामित्व, नियंत्रित या पर्याप्त रूप से वित्तपोषित निकाय और उपयुक्त
सरकार द्वारा प्रदान किए गए धन द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से
वित्तपोषित शामिल हैं।
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